Stories Of Premchand
13: प्रेमचंद की कहानी "मृतक भोज" Premchand Story "Mritak Bhoj"
- Autor: Vários
- Narrador: Vários
- Editora: Podcast
- Duração: 0:40:21
- Mais informações
Informações:
Sinopse
तीसरे दिन सेठ रामनाथ का देहान्त हो गया। धनी के जीने से दु:ख बहुतों को होता है, सुख थोड़ों को। उनके मरने से दु:ख थोड़ों को होता है, सुख बहुतों को। महाब्राह्मणों की मण्डली अलग सुखी है, पण्डितजी अलग खुश हैं, और शायद बिरादरी के लोग भी प्रसन्न हैं; इसलिए कि एक बराबर का आदमी कम हुआ। दिल से एक काँटा दूर हुआ। और पट्टीदारों का तो पूछना ही क्या। अब वह पुरानी कसर निकालेंगे। हृदय को शीतल करने का ऐसा अवसर बहुत दिनों के बाद मिला है। आज पाँचवाँ दिन है। वह विशाल भवन सूना पड़ा है। लड़के न रोते हैं, न हँसते हैं। मन मारे माँ के पास बैठे हैं और विधवा भविष्य की अपार चिन्ताओं के भार से दबी हुई निर्जीव-सी पड़ी है। घर में जो रुपये बच रहे थे, वे दाह-क्रिया की भेंट हो गये और अभी सारे संस्कार बाकी पड़े हैं। भगवान्, कैसे बेड़ा पार लगेगा।