Stories Of Premchand
16: प्रेमचंद की कहानी "समस्या" Premchand Story "Samasya"
- Autor: Vários
- Narrador: Vários
- Editora: Podcast
- Duração: 0:13:03
- Mais informações
Informações:
Sinopse
एक दिन बड़े बाबू ने गरीब से अपनी मेज साफ़ करने को कहा। वह तुरन्त मेज साफ़ करने लगा। दैवयोग से झाड़न का झटका लगा, तो दावात उलट गयी और रोशनाई मेज पर फैल गयी। बड़े बाबू यह देखते ही जामे से बाहर हो गये। उसके कान पकड़कर खूब ऐंठे और भारतवर्ष की सभी प्रचलित भाषाओं से दुर्वचन चुन-चुनकर उसे सुनाने लगे। बेचारा गरीब आँखों में आँसू भरे चुपचाप मूर्तिवत् खड़ा सुनता था, मानो उसने कोई हत्या कर डाली हो। मुझे बाबू का जरा-सी बात पर इतना भयंकर रौद्र रूप धारण करना बुरा मालूम हुआ। यदि किसी दूसरे चपरासी ने इससे भी बड़ा कोई अपराध किया होता, तो भी उस पर इतना वज्र-प्रहार न होता। मैंने अंग्रेजी में कहा—बाबू साहब, आप यह अन्याय कर रहे हैं। उसने जान-बूझकर तो रोशनाई गिराया नहीं। इसका इतना कड़ा दण्ड अनौचित्य की पराकाष्ठा है। बाबूजी ने नम्रता से कहा—आप इसे जानते नहीं, बड़ा दुष्ट है। ‘मैं तो उसकी कोई दुष्टता नहीं देखता।’ ‘आप अभी उसे जानते नहीं, एक ही पाजी है। इसके घर दो हलों की खेती होती है, हजारों का लेन-देन करता है; कई भैंसे लगती हैं। इन्हीं बातों का इसे घमण्ड है।’ ‘घर की ऐसी दशा होती, तो आपके यहाँ चपरासगिरी क्यों करता?’ ‘विश्वास मानिए