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Sinopse
Podcast by Pranay Kotasthane and Saurabh Chandra
Episódios
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सफ़रनामा: रोबोटिक्स का तीर्थस्थल। Boston Travelogue
27/06/2024 Duração: 47minइस हफ़्ते पुलियाबाज़ी पर और एक सफरनामा जिसमें सौरभ देते हैं अपने बोस्टन सफर का ब्यौरा। क्या इकोसिस्टम है बोस्टन में जिससे वहाँ रोबोटिक्स से लेकर बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्र में अप्रतिम संशोधन निकल कर आते हैं? क्या चीन में भी ऐसी इकोसिस्टम बनाना संभव है? जुड़िये इस पुलियाबाज़ी पर। अगर आपकी कोई टिप्पणियाँ हो तो ज़रूर भेजें। अगर आप पुलियाबाज़ी पर अपने विचार या लेख साझा करना चाहें तो हमें ज़रूर लिखें। This week, Saurabh shares his notes from his travels to Boston. He talks about the innovations he saw in robotics and biotechnology, and shares his views on what sustains the innovation ecosystem in the US. What should India do if it wants to foster such an innovation in India? How does the innovation ecosystem in China fare in comparison to the US and the European Union? This and more on this Safarnama: We discuss:* The Mecca of Robotics * The Boston Ecosystem * Government interventions* Agglomeration in research * Driving cutting-edge innovation* Can China overtake the US in innovation? Readings:Research Paper: Rethink
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भारत, क्षेत्रीय विविधता के नज़रिये से। India is not 28 States, but 85 Regions ft. Poornima Dore
20/06/2024 Duração: 01h08minभारत में आर्थिक विश्लेषण अक्सर राज्य-केंद्रित होता है। हालाँकि, राज्यों के भीतर भी काफ़ी आर्थिक भिन्नताएँ हैं। भारत को क्षेत्रीय विविधता के नज़रिए से देखना शायद ज़्यादा सटीक होगा- 85 क्षेत्रों का देश, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अर्थव्यवस्था, भौगोलिक पहचान, संसाधन और कुशलता हैं। इस नज़रिए से भारत कैसा दिखता है? क्षेत्रीय स्तर पर विश्लेषण से हम भारत के बारे में क्या सीख सकते हैं? इस विषय पर विस्तार से चर्चा के लिए पुलिया पर जुड़ती है अर्थशात्री और लेखिका डॉ. पूर्णिमा डोरे।Economic analysis in India is often state-centric. However, there is quite some economic divergence even within states. It’s probably more accurate to look at India through the lens of its regional diversity-a country of 85 regions, each with their own economy, geographic identity, resources and skill sets. What can we learn about India when we adopt this lens? To discuss this, we talk to Dr. Poornima Dore, an economist and author of ‘Regional Economic Diversity’. We discuss:* Why focus on regional diversity?* Are regions political entities too
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[दुबारा] क्या EVM सुरक्षित हैं? The SOP and Technology of EVMs ft. Alok Shukla
17/06/2024 Duração: 01h05minये अंक २०१९ लोक सभा चुनाव के पहले प्रकाशित किया गया थाइलोन मस्क के EVM से जुड़े ट्वीट ने इस मशीन को एक बार फिर अख़बारों के प्रथम पृष्ठ पर ले आया है | तो पुलियाबाज़ी में हमने इस प्रश्न से हटकर मतदान प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया | इस पुलियाबाज़ी में हमारे गेस्ट है श्री अलोक शुक्ला जो २००९ और २०१४ के बीच भारत के डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर रह चुके हैं | उनकी किताब Electronic Voting Machines: The True Story इवीएम पर लग रही आलोचनाओं का मुँहतोड़ जवाब देती है | इस पुलियाबाज़ी में हमने उनके सामने यह सवाल रखे:* संसद चुनाव के लिए प्रक्रिया कब और कैसे शुरू होती है ?* चुनाव आयोग एक स्वतन्त्र संवैधानिक संस्था है - इस संरचना का ECI अफसरों पर आपके मुताबिक क्या फ़र्क पड़ता है? क्या सब पार्टियाँ चुनाव आयोग के पास चुगली करने आती रहती है?* EVM के आने से पहले क्या तकलीफें होती थी चुनाव करवाने में ?* EVM का आईडिया कब पहले आया? क्या क्या विरोध रहे है EVM के ख़िलाफ़?* EVM और राजनैतिक दलों का रिश्ता कैसा रहा है?* EVM की छवि सुधारने के लिए ECI को क्या करना चाहिए?In the 1971 General Elections, it was alleged that ballot papers were tampered w
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भारत, एक भाषा संगम। How have Indian languages evolved? ft. Karthik Venkatesh
12/06/2024 Duração: 01h04min'कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी, जो नहीं बदलती वो है हिंदुस्तानी।’ तो आइये करते है आज हिंदुस्तानी भाषाओं पर एक पुलियाबाज़ी। जिसमे बातें पाकिस्तान में बोली जाती एक द्रविड़ भाषा ब्राहुई से लेकर पूर्वोत्तर के बाजार की भाषा नगामीस तक। एक दूसरे के जैसी पर एक दुसरे से अलग, ऐसी भारतीय भाषाओं की कहानी संपादक और लेखक कार्तिक वेंकटेश के साथ। This week, an evergreen Puliyabaazi on the diversity of Indian languages. Why do languages evolve the way they do? How did the many different languages and dialects of India evolve? What role did the British play in reviving some of these languages? Do languages die? What gets lost when we lose a language? Find some interesting answers to these fascinating questions in this conversation with editor and author, Karthik Venkatesh. We discuss:* How do languages evolve* Brahui-Clues to the language of Indus Valley Civilization* Oldest Indian Languages* How the British contributed to Indian languages* Linguistic survey of India* The late arrival of printing in India* The interesti
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क्या आप तर्कहीन है? Should policymakers assume humans are irrational?
06/06/2024 Duração: 32minनीतियां बनाते वक़्त, ये समझना ज़रूरी होता है कि लोग कैसे सोचते हैं और कैसे अपना व्यवहार तय करते हैं, तभी कामयाब और फायदेमंद नीतियां बन पाएंगी। लेकिन, क्या नीति बनाने वाले ये मान लें कि लोग अक्सर अतार्किक फैसले लेते हैं या ये कि लोग ज़्यादातर विवेकशील होते हैं? आखिर, ऐसी मान्यताओं के आधार पर कैसी नीतियां बनेंगी? आइये, करते हैं आज इसी पर चर्चा। In the realm of policymaking, understanding human behavior is crucial for crafting effective and impactful solutions. However, a central debate revolves around whether policymakers should assume humans are inherently rational or irrational beings. What kind of policies will such assumptions lead to? We argue against the assumption of human irrationality and examine its implications for policy formulation. We discuss:* Making decisions for others* Assuming irrationality* Humans are reasonable* Is buying lottery irrational* A lottery to increase voting percentage* Empathy vs CompassionReadings:A Framework A Week: How to Deter Reasonable People from Engaging in Undesirable Be
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भारत की बदलती जनसंरचना। India’s Demography Decoded ft. Shivakumar Jolad
30/05/2024 Duração: 01h19minक्या आपको पता है कि विश्व युद्ध और भारत के बंटवारे के बाद भी दशकीय जनगणना समय पर की गयी थी, जब की हालिया दशकीय जनगणना करने में देरी हो चुकी है। इससे शासन प्रणाली पर काफ़ी असर पड़ेगा क्योंकि हर एक जिल्ले में कितनी सरकारी सुविधा प्रदान की जाये ये जनगणना के हिसाब से निश्चित किया जाता है। जनगणना और जनसंरचना याने कि डेमोग्राफी एक दिलचस्प विषय है जिसको गहराई से समझाने के लिए हमारे साथ पुलियाबाज़ी पर जुड़े प्रोफ़ेसर शिवकुमार जोलद। सुनिए इस पुलियाबाज़ी को और समझिये भारत की बदलती जनसंरचना के बारे में। Did you know that even after World War II and the partition of India, the decennial census was conducted on time? The recent decennial census has been delayed and it is a matter of concern because this will have an impact on all levels of governance. This week on Puliyabaazi, Professor Shivkumar Jolad joins us to discuss the fascinating discipline of Demography. This is a Puliyabaazi with many TIL moments. Do listen in. We discuss:* The discipline of demography* Why is the census important?* History of census in India* Impac
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भारतीय शहरों के लिए एक मॉडेल शहर। Singapore Safarnaama
23/05/2024 Duração: 51minअक्सर हमारे नेता भारतीय शहरों को सिंगापुर जैसा बनाने का सपना रखते है। क्या है जो हमारे शहर सिंगापुर से सीख सकते हैं? इस हफ़्ते पुलियाबाज़ी पर सुनिए सिंगापुर यात्रा से प्रणय के अवलोकन। इस सफ़रनामा में बात खुले व्यापार से लेकर स्ट्रीट लाइट्स तक। सुनियेगा ज़रूर। Singapore is often seen as a model for development for Indian cities. This week, Pranay shares his observations from his recent visit to the city-state of Singapore. We discuss:* Should we make our cities as union territory?* 100 Singapores in India* Can Indian cities learn from Singapore?* Kids travelling alone* Churn in city centre* Administrative outlook* Import dependence and free trade* Energy intense economy* Smart DiplomacyPranay’s travelogue:https://publicpolicy.substack.com/i/144748014/global-policy-watch-a-singapore-summerListen to related Puliyabaazi:सफ़रनामा: अमरीका से थाईलैंड से केन्या तक। Travelogue from US, Thailand, Kenyaअमरीकी मैन्युफैक्चरिंग जगत का सफ़रनामा। US Travelogue - Trade Exhibitions, Saving Art, and Unisex ToiletsIf you have any que
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एक न्यायपूर्ण समाज कैसे बनाएं? Rawls v/s Nozick Debate
16/05/2024 Duração: 49minक्या आपने कभी सोचा है कि एक न्यायपूर्ण समाज कैसा दिखता है? आज हम न्यायपूर्ण समाज की दो परिकल्पना को समझेंगे, जॉन रॉल्स और रोबर्ट नोज़िक के दृष्टिकोण से। जॉन रॉल्स करते हैं समानता की पैरवी, जब के नोज़िक रखते हैं स्वतंत्रता का पक्ष। इस पुलियाबाज़ी में हम दोनों पक्षों के तर्क को समझने की कोशिश करेंगे। क्या इसमें कोई समाधान की आशा है? वो तो आप ही सुनिए, सोचिये और बताइये। In this episode of Puliyabaazi, we delve into the philosophical debate between John Rawls and Robert Nozick on what makes a just society. What is more important? equality or liberty?John Rawls proposes the "veil of ignorance" thought experiment, where individuals choose principles of justice for a society while not knowing their own social status. Robert Nozick, on the other hand, prioritizes individual liberty. His book Anarchy, State, and Utopia argues for minimal government intervention, emphasizing the right to keep what one has justly acquired. The Debate Heats UpThis episode is an exploration of these two differing points of view. We unpack
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फैक्ट्री बनाने के दुखड़े। How Poor Building Standards Hurt Indian Firms ft. Bhuvana Anand and Sargun Kaur
09/05/2024 Duração: 01h03minभारत में भवन निर्माण कोड तो कई है, पर क्या वे सभी तर्कसंगत और व्यावहारिक है? समय के साथ जड़ हो गए बिल्डिंग कोड से भारतीय कंपनियों का कितना नुकसान हो रहा है? क्या है इसके दीर्घकालिक परिणाम? आज इस विषय को गहराई से समझेंगे भुवना आनंद और सरगुन कौर के साथ जिन्होंने स्टेट ऑफ़ रेगुलेशन रिपोर्ट में भारतीय फैक्ट्रियों के बिल्डिंग कोड का गहराई से अध्ययन किया है। This week on Puliyabaazi, we discuss the State of Regulation Report on building standards with Bhuvana Anand and Sargun Kaur. Their report assesses building codes for factories across various states and finds that building codes in India are significantly more restrictive than other developing countries. Many codes are obsolete and archaic. What is the cost of such overly restrictive codes on firms in India?We discuss:* What are Building Regulations?* Regulations vs Safety* Historical context* Alternatives* Lessons from data and reality* Floor Area Ratio* Impact of excessive regulation* Regulations across sectorsReading recommendations by Sargun and Bhuvana:* St
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भारत के विकास की चाबी। Accelerating India’s Development with Karthik Muralidharan
02/05/2024 Duração: 01h22minहम सभी जानते है कि भारत की राज्य क्षमता यानी की state capacity सीमित है। इसका असर आम भारतीयों के जीवन पर भी होता है। प्राथमिक शिक्षा का उदाहरण लें तो यदि हम यथास्थिति बनाए रखते हैं, तो 2047 तक, हमारे पास अन्य 20 करोड़ बच्चे होंगे जो बुनियादी साक्षरता के बिना प्राथमिक शिक्षा पूरी करेंगे। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि राज्य की क्षमता कैसे बढ़ाई जाए? सरकारी नौकरशाही के ब्लैक बॉक्स को कैसे सुधारा जाए? इन्हीं कुछ अहम सवालों के जवाबों की खोज प्रोफेसर कार्तिक मुरलीधरन की नयी किताब में। माफ़ कीजियेगा, ये किताब नहीं, ग्रंथ है। आज की पुलिया पर उसकी झांकी लीजिये, वो भी प्रोफ़ेसर साहब की सहज हिंदी में। हमें तो कई उत्तर मिलें। आप भी सुनिए, और कुछ सवाल हो तो हमें ज़रूर भेजिए। The Indian state takes up mighty goals, but fails to fulfil them due to its limited state capacity. This has disastrous consequences on the lives of ordinary Indians. Take the example of primary education—if we maintain the status quo, by 2047, we will have another 20 crore children that will finish primary school without basic literacy. But the big question
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बेंगलुरु निवासियों का कारे मेघा आलाप। Bengaluru water crisis through Wicksellian Connection framework
25/04/2024 Duração: 36minइस हफ़्ते पुलियाबाज़ी पर हमारे दो बेंगलुरु निवासी होस्ट ‘कारे मेघा, कारे मेघा’ का आलाप लगाते पाए गए। पानी कब बरसेगा ये तो पता नहीं, पर इस पानी की समस्या में छिपे कुछ पब्लिक पॉलिसी के पाठ प्रणय ने ख़ोज निकाले। जब किसी संसाधन की कमी हो तो उसकी सही कीमत लगाने से उसका सही उपयोग निश्चित किया जा सकता है, ये तो पुलियाबाज़ी के श्रोता जानते ही होंगे। आज की पुलियाबाज़ी में नज़र दौड़ाते हैं बेंगलुरु में मिल रहे पानी की सही कीमत और उसे कौन चुकाता है इसके बारे में भी। इसी साथ पब्लिक पॉलिसी समझने के एक फ्रेमवर्क विकसैलियन कनेक्शन को भी समझ लेते हैं। As the graph below shows, the silicon valley of India is experiencing a heat wave. This is going to exacerbate the ongoing water crisis. While many find the solution in drawing more from Kaveri, Pranay analyses the issue through the framework of Wicksellian Connection—a public policy framework that looks for an overlap between the three aspects of utilising a scarce resource. Who decides? Who gets the benefit? Who pays for it? How does Bengaluru’s water supply fare when tested on thi
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स्वतंत्र पार्टी की पहेली। Swatantra Party in Independent India ft. Aditya Balasubramanian
18/04/2024 Duração: 52minआज़ादी के बाद भारत में जो राजनीतिक पार्टियां उभर कर आ रही थी उसमें से एक थी राजाजी द्वारा स्थापित स्वतंत्र पार्टी। उनकी कोशिश थी की आज़ादी के बाद के भारत में कांग्रेस की योजनाबद्ध व्यवस्था के सामने स्वतंत्र आर्थिक नीति के समर्थन में एक प्रतिपक्ष रखा जाये। क्या थी इस स्वतंत्र पार्टी की विचारधारा और उसकी राजनीति? जिस समय देश में समाजवादी विचारधारा का प्रभुत्व था उस समय अमरीका की लिबर्टेरियन विचारधारा से प्रभावित पार्टी कैसे उभर कर आ पायी? हमें तो ये कहानी एक गुत्थी की तरह लगी जो हमारे मेहमान आदित्य बालसुब्रमन्यन अपनी किताब और इस पुलियाबाज़ी में बख़ूबी सुलझाते हैं। हिंदी में बोलने के आदी न होने के बावजूद आदित्य ने हिंदी में बात करने का विशेष प्रयत्न किया उस के लिए उन्हें शुक्रिया। Join us in this conversation as we try to understand the origins and ideology of the Swatantra party, which was an attempt at offering effective opposition to Congress’s one party dominance in post-independence India. The party, founded by C. Rajagopalachari who famously formulated the term ‘Licence Permit Raj’, was influenced by libertari
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अमरीकी मैन्युफैक्चरिंग जगत का सफ़रनामा। US Travelogue - Trade Exhibitions, Saving Art, and Unisex Toilets
11/04/2024 Duração: 48minहाल ही में सौरभ अपने काम को लेकर अमरीका जाकर आए। तीन अलग अलग शहर एटलांटा, डेट्रॉइट और पालो आल्टो की मुलाकात ली। तो आइये जानते है कि अमेरिका में व्यापार प्रदर्शन कैसे होते है? कौन बचा सकता है एक दिवालिया शहर की कलाकृतियों को? और ऐसे कई अनोखे अवलोकन सौरभ के पिटारे से। This week, we get a peek into the world of manufacturing in the US as Saurabh shares his travel notes from his visit to Atlanta, Detroit and Palo Alto. We discuss:* Trade Exhibition in Atlanta* Detroit, a ghost city?* Innovative Robots* Do we need Humanoid Robots?* Hubs and VC funding* Globalisation in Supply Chain * Observations in Palo AltoReadings:* Alexis de Tocqueville* The Fight to Save Detroit’s Art Museum* California Proposition 47Listen to related Puliyabaazi:सफ़रनामा: अमरीका से थाईलैंड से केन्या तक। Travelogue from US, Thailand, Kenyaडिजिटल इंडिया का भविष्य कैसा है? India’s Digital Future ft. Nikhil PahwaIf you have any questions for the guest or feedback for us, please comment here or write to us at puliyabaazi@gmail.com. If you like our
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भारत-अमरीका दोस्ती में आशंकाएँ क्यों? Apprehensions in India-US Relations ft. Yusuf Unjhawala
04/04/2024 Duração: 01h10minऐतिहासिक रूप से भारत-अमेरिका संबंध "कभी हां कभी ना" जैसा रहा है। हाल के वर्षों में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के साथ इसमें बदलाव आया है, लेकिन कुछ कारणवश हम आज भी अमरीका को थोड़ा संदेह के साथ देखते है। भारत-अमरीका संबंधों के विरुद्ध जो तर्क दिए जाते हैं उनमें कितना दम है? अमेरिका के साथ घनिष्ठ साझेदारी बनाने में भारत को क्या आर्थिक और तकनीकी लाभ होगा? इन सब सवालों पर विस्तार में चर्चा डिफेन्स क्षेत्र में विशेषज्ञ युसूफ उंझावाला के साथ। What will India gain by forming a closer partnership with the US? Can the US be trusted as a partner? Will this jeopardise India’s relations with her historic ally Russia? This week on Puliyabaazi, we discuss the arguments given against closer India-US relations with Yusuf Unjhawala. Yusuf is an Adjunct Scholar at the Takshashila Institution. He has a keen interest in defence and geopolitics and runs India's largest online discussion forum on defence and strategic affairs.We discuss* Recent changes in India-US relations* What are the military and political arguments against clos
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एक चुनाव की अनेक दिक्कतें। One Election, Many Problems
28/03/2024 Duração: 34minहाल ही में केंद्र सरकार द्वारा बिठाई गयी उच्च स्तरीय समिति ने भारत में समकालिक चुनाव पर अपनी रिपोर्ट पेश की। सरकार एक देश एक चुनाव को लेकर काफ़ी संजीदा है। तो क्या है इस समिति के सुझाव? क्या इनसे समस्या सुलझेगी या और उलझेगी? इसी बात पर सुनिए आज की पुलियाबाज़ी। This week on Puliyabaazi, we discuss the High Level Committee Report on simultaneous elections in India that has been released recently. What are its recommendations? What are the unintended consequences of such a drastic change to our election system? We discuss:* Disruptions due to Model Code of Conduct* Should uncertainty associated with elections be reduced?* Will this weaken federalism?* Will this undermine local issues?For your reading:High Level Committee Report [link]Pranay’s newsletter on One Nation One Election [link]:Listen to related Puliyabaazi:एक सवाल, कई जवाब: एक देश-एक चुनाव के बारे में कैसे सोचा जाए? How to think about One Nation-One Election?स्वतंत्र भारत में मतदान की कहानियाँ. How India Conducts Elections.If you have any questions for t
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सड़कों को सुरक्षित और सुगम कैसे बनाएं? Improving Road Safety ft. Rahul Goel, IIT-Delhi
21/03/2024 Duração: 01h13minभारत में ट्रैफिक की समस्या से तो हम सभी जूझते है, तो क्यों न इसी विषय पर आज एक विशेषज्ञ से बात की जाए? आज हमारे मेहमान हैं IIT-Delhi से जुड़े असिस्टेंट प्रोफ़ेसर राहुल गोयल जो भारतीय रास्तों को सुरक्षित बनाने के विषय पर संशोधन करते हैं। तो आइये जानते हैं उनसे ही कि क्या कारक है जो हमारे रास्तों को असुरक्षित बनाते हैं और उन्हें कैसे ठीक किया जाए। Our guest today is Rahul Goel who is an Assistant Professor with the Transportation Research and Injury Prevention Centre, IIT-Delhi. He has co-authored numerous research papers on road safety in India. On today’s Puliyabaazi, he shares his insights on the factors that make Indian roads unsafe and how these can be remedied. We discuss: * Burden of Traffic Deaths in India* Challenges with analysing traffic related deaths and injuries* Factors that make our roads unsafe* Traffic calming measures* Traffic emissions For your reading:Road Safety in India: Status Report 2023 [link]Rahul Goel’s Research Papers [link]Listen to related Puliyabaazi:If you have any questions for t
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हमारा गणतंत्र। We, the Citizens
14/03/2024 Duração: 31minकहते है न कि पब्लिक पॉलिसी में अक्सर पब्लिक ही गायब रहती है। इसलिए हमारी कोशिश रहती है कि किसी तरह लोगों की लोकनीति में रुचि बढ़ाई जाए । पुलियाबाज़ी भी उसी दिशा में एक कदम है। अब इस श्रृंखला में एक और कड़ी जुड़ चुकी है—ख्याति, प्रणय और अनुपम की नयी किताब ‘We, the Citizens’ जो लोकनीति के मुश्किल पाठ चित्रों के द्वारा आसान भाषा में सीखाने की कोशिश करती है। आज की पुलियाबाज़ी इसी किताब और उसके पीछे की कहानी पर। This week on Puliyabaazi, Khyati and Pranay share the story behind their new book ‘We, the Citizens’. What was the idea behind the book? What was the process to bring it to life? Also, Khyati shares her journey as a comic illustrator, from drawing short comics for introverts to a fully illustrated 180-pager on public policy.[Book] We, the Citizens: Strengthening the Indian RepublicKhyati’s Tech-stack for creating comics:Drawing Tablet: Huion Kamvas 13, Software: Sketchbook, Layout: Adobe Indesign***** more Puliyabaazi related to comics and animation ****** सिंधु घाटी सभ्यता की परिचित-अपरिचित बातें। The Pe
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डिजिटल इंडिया का भविष्य कैसा है? India’s Digital Future ft. Nikhil Pahwa
01/03/2024 Duração: 01h26minये DPI क्या होता है? टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क्या नीतियाँ उभर कर आ रही है? इस हफ़्ते पुलियाबाज़ी पर भारत की टेक्नोलॉजी पॉलिसी में एक डुबकी टेक पॉलिसी विशेषज्ञ निखिल पाहवा के साथ। What constitutes Digital Public Infrastructure? How is the policy framework shaping up around DPI? What are the concerns for us as citizens as more and more things in our life get digitised? Join us on this Puliyabaazi with Nikhil Pahwa, founder of MediaNama, and someone who has tracked the journey of digital India up-close. More article from Nikhil PahwaNikhil’s Blog***** Related Puliyabaazi ****** ChatGPT के बाद क्या? AI After ChatGPT* बेलगाम संस्थाएं, जनता का नुकसान। Caged Tiger ft. Subhashish BhadraWebsite: https://puliyabaazi.inWrite to us at puliyabaazi@gmail.com Hosts: @saurabhchandra @pranaykotas @thescribblebeeGuest: @nixxinPuliyabaazi is on these platforms:Twitter: @puliyabaazi Instagram: https://www.instagram.com/puliyabaazi/Subscribe & listen to the podcast on iTunes, Google Podcasts, Castbox, AudioBoom, YouTube, Sp
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यूरोपीय किसान भी कर रहे चक्का जाम। Why are european farmers protesting?
22/02/2024 Duração: 47minकिसान आंदोलन सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है। हाल ही में यूरोप भर के किसान भी अलग अलग मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे है। ऐसा क्यों? क्या है उनकी मांगे? क्या है जो खेती को दुसरे व्यव्यवसायों से अलग बनाता है? Farmers protest is not a phenomenon limited to India. Recently, farmers all across Europe have been protesting for various reasons? What are the proximate and structural reasons behind these protests? Are there any similarities between the protests in India and Europe? P.S: We recorded this episode before the recent farmer’s protest in India began. There is already widespread coverage on this topic. We thought that this discussion can bring a slightly different POV on the topic. Readings:Tractor Troubles in Europe | Anticipating the Unintended***** related Puliyabaazi *****नई कृषि कानून : आज़ादी या बोझ? The New Farm Laws.कृषि दर्पण. Reality of Agriculture in India.*****************Website: https://puliyabaazi.inWrite to us at puliyabaazi@gmail.com Hosts: @saurabhchandra @pranaykotas @thescribblebeePuliyab
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भारतीय मतदाता को कैसे समझें? Understanding the Indian Voter ft. Rahul Verma
15/02/2024 Duração: 01h13minAs election season arrives in India, we thought this was a good time to revisit our conversation about understanding the Indian voter. Listen in to this week’s Puliyabaazi as Rahul Verma, Fellow at Centre for Policy Research, joins us to discuss the changing trends in Indian elections. क्या भारतीय वोटर आर्थिक मुद्दे पर बटा है? क्या भारत में राजनैतिक ध्रुवीकरण बढ़ा है? भारत में चुनाव की चर्चा झोर पकड़ रही है, तो हमने सोचा क्यों न इस विषय पर एक विशेषज्ञ से ही बात की जाय। सुनिए इस हफ़्ते पुलियाबाज़ी पर चुनाव पर चर्चा राहुल वर्मा के साथ। About the Guest:Rahul Verma is Fellow at the Centre for Policy Research, New Delhi, and Visiting Assistant Professor in the Department of Political Science, Ashoka University, Sonipat. He has a PhD in Political Science from the University of California, Berkeley. He is a regular columnist for various news platforms and has published papers in many academic journals. His research interests include voting behaviour, party politics, and political representation. His book co-authored wit